1
बहुत नमी के बाद
हो जाती है बारिश
बहुत प्रतीक्षा के बाद
खिल जाते हैं फूल
बहुत बुलाने पर भी
जब नहीं आती है हँसी
उदास पृथ्वी घास के स्वप्न में जागती है
घास अन्याय के विरुद्ध
पृथ्वी का प्रतिरोध है।
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बहुत नमी के बाद
हो जाती है बारिश
बहुत प्रतीक्षा के बाद
खिल जाते हैं फूल
बहुत बुलाने पर भी
जब नहीं आती है हँसी
उदास पृथ्वी घास के स्वप्न में जागती है
घास अन्याय के विरुद्ध
पृथ्वी का प्रतिरोध है।
Dr. Rita Moni Baishya
Associate Professor
Department of Hindi
Gauhati University
9101452787
संपादकीय
साहित्य देश-काल की सीमा का अतिक्रम कर भिन्न भाषा के साहित्य के अध्ययन के जरिए हमें जोड़ता है । क्रमश: अंत:सम्बन्धित दुनिया में साहित्य संस्कृति, भाषा और इतिहास के बीच सेतु की तरह काम करता आया है । यह हमें भिन्न दृष्टिकोण से मानव अनुभवों को समझने की अनुमति देता है और सहानुभूति तथा समझौते की वकालत करता है । बहुभाषिक साहित्य को स्वीकार कर लेना ही वैचित्रमय संस्कृति के विषय में हमारी सोच को समृद्ध करता है और विश्वव्यापी इस एकता का पालन-पोषण करता है । वैचित्रमय भाषा, साहित्य और सांस्कृतिक भंडार से समृद्ध द्विभाषिक ई-पत्रिका ‘लौहित्य साहित्य सेतु’ का यह आठवाँ अंक है । असम तथा भारत के भिन्न रचनाओं के साथ-साथ इसमें मौलिक रचनाओं को भी महत्व दिया जाता है । जिस तरह ‘सेतु’ नदी पार करने का एक माध्यम है, ठीक उसी तरह अनुवाद साहित्य भी एक ऐसा ही माध्यम है, जिसके जरिए स्रोत भाषा में प्रकाशित धारणाएँ लक्ष्य भाषा में उसी तरह प्रकाशित होती हैं । ‘लौहित्य साहित्य सेतु’ में हिंदी और असमीया – ये दो भाषाएँ मूलत: लेखन का माध्यम है । ‘लौहित्य साहित्य सेतु’ के इस अंक में कुछ लेख, निबन्ध, शोध-पत्र, समीक्षा, मौलिक कविता, अनूदित कविता आदि प्रकाशित हुए हैं । दोनों भाषाओं के भिन्न स्वादयुक्त साहित्य के साथ-साथ समग्र विश्व के भिन्न भाषी साहित्य को इन दो भाषाओं के जरिए प्रकाशित करके यह भिन्न भाषी लेखक और पाठक के हृदय में एक सेतु का निर्माण करे यही हमारा मूल लक्ष्य है ।
भाषिक वैचित्र रक्षा के क्षेत्र में साहित्य महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है । अनुवाद, मौलिक रचना, शोध आदि के महत्व को ध्यान मे रखकर हमने हमारे पाठकों को बहुभाषिक साहित्यिक रचनाओं का मूल्यांकन और समर्थन कर उत्साहित करने के लिए इस पत्रिका को प्रस्तुत किया है । हम आशावादी हैं कि भिन्न सुर के साहित्य की उपलब्द्धि से आपलोग विश्वव्यापी साहित्य में अवदान देनेवाले कंठ के वैचित्र को स्वीकार करेंगे । ऐसा करने से हम विश्व के समृद्ध सांस्कृतिक और भाषिक वैचित्र के विषय में गहरी समझ को बढ़ावादे सकेंगे ।
पूजा बरुवा
डॉ. अनामिका राजबंशी
संपादक, लौहित्य साहित्य सेतु,
वर्ष:5, संख्या:8;जनवरी-जून, 2024
Publisher:
NEGLIMPSE
Address:
House No.: 1
Bakarapara, Lata Kata, Basistha
City: Guwahati
Dist: Kamrup(M),
PIN: 781029
State: Assam
Country: India