8. भीखमंगा(कविता) ✍ धृति बरा

वह तुम्हारी तरह संतुष्टि के लिए नहीं तड़पता,

वह तो तीन वक्त की रोटी के लिए तड़पता है ।

संतुष्टि मिले न मिले,

बस किसी तरह इस भूखी जंग से 

थोड़े बचाव मिले।

तुम्हारा झूठा खाकर भी वह सुखी होगा,

न की तुम्हारी तरह

बेमुफ्त खाना मिलने पर भी असंतुष्ट होगा ।

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