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लौहित्य साहित्य सेतु (লৌহিত্য সাহিত্য সেতু) : पाँचवाँ अंक
इस अंक में(এই শিতানত)
1. अकेले की मुक्ति संभव नहीं(आलेख) ✍ मधु कांकरिया
जब जब स्त्री मुक्ति की बात आती है, जेहन में कई स्त्रियाँ कौंध जाती है। खेत खलिहान में काम करती स्त्री,पीठ पर बच्चा, हाथ में…
2. उपन्यास की प्राणधारा(आलेख) ✍ भरत प्रसाद
उपन्यास का जन्म ही यथार्थ की अभिव्यक्ति की पीड़ा से हुआ है। यथार्थवाद, आधुनिकता और उपन्यास एक दूसरे से आत्मवत् जुड़े हुए हैं । इसीलिए…
3. मेच्चु(आलेख) ✍ जुन देउरी
असमीया समाज में मनाये जानेवाले जातीय उत्सव ‘बिहु’ को देउरी संप्रदाय में ‘मेच्चु’ या ‘बिचु’ कहते हैं। बिहु नाम सुनते ही मन एक अलग ही…
4. गोवालपरीया लोकगीतों में समाज जीवन का चित्रण(आलेख) ✍ हिमाश्री डेका
साहित्य समाज जीवन का आइना है। मौखिक और लिखित दोनों साहित्य के जरिए समाज जीवन का नान्दनिक रूप अभिव्यक्त होता है । इसीलिए किसी एक…
5. अदब की दुनिया में ‘तन्हाइयों का रक्स’ (आलेख) ✍ अंशु सारडा ‘अन्वि’
यह अदब की दुनिया है, इस अदब की दुनिया में एक लंबी फेहरिस्त है शायरों, कवियों की। कुछ वाकई सरस्वती के सच्चे साधक होते हैं…
6. आक्षेप(कहानी) ✍ मैत्रेयी पुष्पा
जब रुकमपुर के लिए मुझे तबादले का ऑर्डर मिला तो मैं बौखला-सा गया था । उस गाँव का नाम सुनते ही बरसों से समेटा मन…
7. कोलाज : थर्टी फर्स्ट(कहानी) ✍ रीतामणि वैश्य
आफिस से घर वापस आते हुए वह वाइन शॉप से होकर आया। महीने की अंतिम तारीख थी, तंख्वाह आ चुकी थी। उसने वाइन की एक…