वह तुम्हारी तरह संतुष्टि के लिए नहीं तड़पता,
वह तो तीन वक्त की रोटी के लिए तड़पता है ।
संतुष्टि मिले न मिले,
बस किसी तरह इस भूखी जंग से
थोड़े बचाव मिले।
तुम्हारा झूठा खाकर भी वह सुखी होगा,
न की तुम्हारी तरह
बेमुफ्त खाना मिलने पर भी असंतुष्ट होगा ।