5. शहंशाह आलम की कविताएँ

1.जमूरा

जमूरे, हम क्या हैं ?

हम यायावर हैं यायावरी ही करते हैं

हम ख़ानाबदोश हैं ख़ानाबदोशी ही करते हैं

जमूरे, हम यायावरी कर सकते हैं

हम ख़ानाबदोशी कर सकते हैं

तो क्या हम प्रेम नहीं कर सकते ?

नहीं उस्ताद, हम प्रेम नहीं कर सकते

प्रेम करने के लिए तारों-भरी रातें चाहिए

इस काम के लिए उजालों-भरी सुबहें चाहिए

जिनका कि हमारी दुनिया में आना वर्जित है

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