4. एक पेड़ की मौत(कहानी) ✍ अलका सरावगी

कहानियाँ कई बार शीर्षक लगाकर ही पैदा होती हैं और चूँकि यह एक ऐसी ही कहानी है, इसके साथ यह खतरा जुड़ा हुआ है कि आप समझ लें कि आप इसे पहले ही भाँप सकते हैं और खारिज कर दें। यों भी पेड़–और वह भी कलकत्ता जैसे महानगर में–तो मरते ही रहते हैं और किसे पड़ी है कि यहाँ वहाँ सड़कों पर पेड़ों तले टूटे–फूटे बरतन–भाँड़ों के साथ गृहस्थी जमाए मरते–जीते लोगों के शहर में, एक पेड़ की मौत का मातम मनाए  ?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *