यह अदब की दुनिया है, इस अदब की दुनिया में एक लंबी फेहरिस्त है शायरों, कवियों की। कुछ वाकई सरस्वती के सच्चे साधक होते हैं तो कुछ सोशल मीडिया और फेसबुक की उपज। ऐसे में उत्तर प्रदेश के शहर बरेली की सिया सचदेव अदब की दुनिया का वह नाम है जिनकी मादरे जबान उर्दू नहीं फिर भी उन्होंने उर्दू शायरी और मंचों पर अपनी एक मुकम्मल जगह बना ली है। आज के इस चालू और चलताऊ दौर में जहाँ हर रचना तुरंत कॉपी हो जाती है या शब्दों के जोड़-तोड़ के साथ नई रचना का लिबास ओढ़ कर आ जाती है ऐसे में मौलिक और सृजनात्मक लेखन लिखने वालों की कमी दिखाई देने लगती है। सिया गजल की दुनिया का वो हस्ताक्षर है जिनकी शायरी में दर्द संगीत बनकर फूट पड़ता है।