8. अशोक लौट के आता तो(कविता) ✍ राजीव तिवारी

रणभूमि में

हताहत लोगों को देखकर

फिर किसी राजा का

मन द्रवित नहीं होता

उसके हृदय में

अंतर्निहित  ऋषितत्व

प्रबल नहीं होता

अपितु, रक्त पिपासा और जगती है

न किसी उपगुप्त के पास

कोई सम्राट जाता है

न किसी बुद्ध तक पहुंचता है

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