आफिस से घर वापस आते हुए वह वाइन शॉप से होकर आया। महीने की अंतिम तारीख थी, तंख्वाह आ चुकी थी। उसने वाइन की एक बड़ी बोतल खरीद ली। दूसरा दिन होता तो उसे अपने को इस स्थिति में पाकर बड़ी खुशी होती। पर आज तो शराब पीकर गाड़ी चलाना मना था। नये मुख्यमंत्री का सख्त निर्देश था। जो भी ड्राइव विथ ड्रिंक करेगा, उसे उनका मेहमान होना पड़ेगा। ऊपर से जुर्माना अलग से। आज तो कहीं वह पार्टी करने जा भी नहीं सकेगा। पर पिये बिना रहा भी नहीं जायेगा। शराब कमबख्त चीज ही ऐसी है कि अकेले पीने में मजा ही नहीं आता। पत्नी शिक्षक की बेटी है,धर्म-कर्म में विश्वास रखनेवाली। शराब का नाम सुनते ही नहाने जाती है। बाइक को किक मारते हुए उसने अपना बेग संभाला और एक्सीलेटर घुमाता हुआ अपने आप से बोल उठा- ‘आज उसे ही मनाना पड़ेगा।’