11. इग्लू (अनुदित कहानी) *मूल (असमीया) : श्रीमती मणिका देवी *अनुवाद: पूजा शर्मा

माँ, तू चल बसी क्या ?  

          अभी भी कुछ बाकी है क्या बिटिया, हड्डियाँ तो कब की गल गयीं ।

          क्या कहती हो माँ ! मेरे पास ख़बर भेजने को भी कोई मिला नहीं था क्या ?

          बिटिया तू ख़बर भेजने की बात कर रही है, मुझ ही को ख़बर कहाँ मिली थी । जीने-मरने के बीच का अन्तर ही कहाँ जान सकी थी । सावधानी से चलना बिटिया, स्त्रियों के जीने-मरने में कोई अन्तर नहीं, कोई भी अन्तर नहीं ।

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