माँ, तू चल बसी क्या ?
अभी भी कुछ बाकी है क्या बिटिया, हड्डियाँ तो कब की गल गयीं ।
क्या कहती हो माँ ! मेरे पास ख़बर भेजने को भी कोई मिला नहीं था क्या ?
बिटिया तू ख़बर भेजने की बात कर रही है, मुझ ही को ख़बर कहाँ मिली थी । जीने-मरने के बीच का अन्तर ही कहाँ जान सकी थी । सावधानी से चलना बिटिया, स्त्रियों के जीने-मरने में कोई अन्तर नहीं, कोई भी अन्तर नहीं ।