7. कुमार अनुपम की कविताएँ (कविता)

महानगर में बुद्ध

अधरात कोई पीट रहा है

अपने कमरे का द्वार

एक कठोर जिद में उसकी बेचैनी

गुस्सा

और खीझ

दस्तक में बदल कर

बरस रहे हैं द्वार पर

प्रहार की तरह

अकेलेपन की आत्मदया और जर्जर कर रही

कि इस महानगर में उसकी पुकार

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