14. बिहुगीत(लोकसाहित्य) ✍ पूजा बरुवा

बिहु असमीया जाति का जातीय उत्सव है, पूरे असमीया जाति की पहचान  है । असमीया लोग तीन प्रकार के बिहु मनाते हैं – रङाली या बहाग बिहु, भोगाली या माघ बिहु और कङाली या काति बिहु । इन सभी बिहुओं में अलग-अलग प्रकार के नियम तथा परम्पराएँ होते हैं । इन तीन बिहुओं में से रङाली बिहु सर्वाधिक लोकप्रिय है । रङाली बिहु रंगों का बिहु है, रंगीन बिहु है । इस बिहु में समग्र असम झूम उठता है । प्रकृति भी नये हरे वस्त्रों से सुशोभित हो उठती है । रङाली बिहु में लोग जी भरकर बिहु नाचते हैं । बिहु नृत्य के समय कुछ सुंदर गीत गाये जाते हैं, जो हृदय की सहज अभिव्यक्ति होते हैं । बिहुगीत असमीया लोकसाहित्य का अक्षय भंडार है । बिहुगीतों का विषय मूलतः प्रेम होता है । युवक-युवतियों के  प्रेम, मिलने की आकांक्षा, विरह की पीड़ा, प्रकृति का अनुपम चित्र आदि बिहुगीतों के वर्ण्य विषय  हैं । इनके अलावा भी कुछ अन्य विषयों से संबन्धित बिहुगीत भी पाये जाते हैं । बिहुगीत असमीया लोगों का कंठहार है, असमीया ग्रामीण जनजीवन का प्रतिबिंब है । गाँव के सहज-सरल लोगों द्वारा गाये जाने-वाले ये गीत सुर, ताल, लय, बोधगम्यता, संप्रेषणीयता एवं प्रभावोत्पादकता की दृष्टि से अद्वितीय हैं । यहाँ बिहुगीत की झाँकी प्रस्तुत की गयी है।  

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