13. मूली खाने वाला बूढ़ा(अनूदित कहानी) ✍ मूल लेखक : लक्ष्मीनाथ बेजबरुवा; अनुवाद : बिद्या दास

पुराने जमाने में किसी राजा के राज्य में एक बुजुर्ग दंपति रहा करता था । गाँव के सिरे पर एक छोटी-सी झोपड़ी बनाकर दोनों जन किसी तरह खा-पीकर अपना दिन गुज़ार रहे थे; खेती कुछ खास नहीं थी; घर के सामने की थोड़ी-सी ज़मीन पर कुछ साग-सब्जी उगाकर उन्हें बेचकर किसी तरह वे अपना गुज़ारा करते । घर में केवल बूढ़ा और बुढ़िया थे, आगे भी कोई नहीं, पीछे भी कोई नहीं ।

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