12. माँ(कविता) ✍ बिभावना डेका

जिंदगी की पहली किरण तू,

जिंदगी की पहली पुकार तू,

मेरी जिंदगी की पहली छवि तू,

मेरी आँखों की पहली नज़र तू ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *