साहित्य समाज जीवन का आइना है। मौखिक और लिखित दोनों साहित्य के जरिए समाज जीवन का नान्दनिक रूप अभिव्यक्त होता है । इसीलिए किसी एक जाति के किसी एक समय के मौखिक अथवा लिखित साहित्य अध्ययन करने से उस जाति के उस समय के समाज जीवन के विभिन्न रूपों का सम्यक आभास मिलता है ।
गोवालपरीया लोकगीतों के प्रसंग और प्रकरण गोवालपारा के समाज जीवन, मिट्टी और लोगों से संपूर्ण रूप से जुड़े हुए हैं । भारतीय आदर्श में स्वामी के बिना नारी का जीवन अर्थहीन है । नारी के जीवन-यौवन, रूप-सौन्दर्य, सजना-सवाँरना आदि स्वामी के बिना कुछ काम के नहीं।
Dr. Rita Moni Baishya




