7. अधिगम(कहानी) ✍ डॉ. नारायण चंद्र तालुकदार

पार्किंग स्टैंड पर स्कूटर को पार्क कर मैं ऑफिस में दाखिल हुआ । बेग तथा हैल्मेट को ड्रायर में रख हाथ-मुंह धोने बैसिन के पास गया । उसके बाद अपनी कुर्सी पर बैठ अमृत को आवाज दी-

-‘अरे अमृत, चाय पिलाओ ।’

-‘जी बड़ा बाबू, अभी लाता हूँ ।’

दो मिनिट के अंदर अमृत चाय विस्किट लेकर आया । अपने सहकर्मी अलंकार पाठक तथा निशा भट्टाचार्य से पूछा,

-‘आप लोगों ने चाय पी?’

-‘हाँ जी, हम दोनों ने पी ली हैं । आप पीजिए ।’ – मिसेस भट्टाचार्य ने कहा ।

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