6. बुंदेलखंडी लोक-पर्व महाबुलिया(आलेख) ✍ डॉ॰ नम्रता द्विवेदी

भारत त्योहारों का देश है । यहाँ वर्ष के प्रत्येक दिन कोई-न-कोई त्योहार मनाया जाता है, चाहे वह किसी भी धर्म या समुदाय का ही क्यों न हो । प्रत्येक त्योहार धर्म एवं समुदाय के साथ-साथ क्षेत्र-विशेष में भी मनाए जाते हैं, जो लोक-पर्व कहलाते हैं । विभिन्न क्षेत्रों में लोक-पर्व अलग-अलग प्रकार से मनाए जाते हैं जिनका अपना एक अलग महत्व होता है । विशेष बात प्रत्येक लोक-पर्व की यह होती है कि इनको मनाने के पीछे कोई एक विशेष घटना नहीं होती, बल्कि एक पर्व को मनाने के पीछे कई किंवदंतियाँ प्रचलित होती हैं । लेकिन हम भारतीय पूरी तन्मयता और आस्था से लोक-पर्वों को मनाते हैं और ये लोक-पर्व कुछ न कुछ बयान जरूर करते हैं । भारत के बुंदेलखंड के कुछ क्षेत्रों जैसे-बाँदा, चित्रकूट, महोबा में भी इसी प्रकार का एक लोक-पर्व मनाया जाता है – महाबुलिया । महाबुलिया श्राद्धपक्ष में कुँवारी लड़कियों द्वारा पंद्रह दिन के लिए मनाया जाता है । इसे लड़कियाँ शाम के समय खेलती  हैं । बाहर दरवाजे के पास चबूतरे में गोबर से चौकोर लीपकर और उसमें रंगोली बनाकर बबूल की काँटोंवाली शाखा गड्ढे में लगा दी जाती है । इस शाखा को लड़कियाँ सिंदूर से पूजा करके विभिन्न प्रकार के फूलों से सजाती हैं । फूल शाखा की प्रत्येक डाल में पिरोये जाते हैं ।

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