Posted in Fourth Issue: Year: 3, Issue: 4; January-June, 2022

6. आक्षेप(कहानी) ✍ मैत्रेयी पुष्पा

जब रुकमपुर के लिए मुझे तबादले का ऑर्डर मिला तो मैं बौखला-सा गया था । उस गाँव का नाम सुनते ही बरसों से समेटा मन…

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7. कोलाज : थर्टी फर्स्ट(कहानी) ✍ रीतामणि वैश्य

आफिस से घर वापस आते हुए वह वाइन शॉप से होकर आया। महीने की अंतिम तारीख थी, तंख्वाह आ चुकी थी। उसने वाइन की एक…

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Posted in Fourth Issue: Year: 3, Issue: 4; January-June, 2022

8. अशोक लौट के आता तो(कविता) ✍ राजीव तिवारी

रणभूमि में हताहत लोगों को देखकर फिर किसी राजा का मन द्रवित नहीं होता उसके हृदय में अंतर्निहित  ऋषितत्व प्रबल नहीं होता अपितु, रक्त पिपासा…

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9. पापा(कविता) ✍ रोज़ी मोदक

न झुकते हैं कभी, न झुकने देते हैं। न रोते हैं कभी, न रोने देते हैं। स्वाभिमानी हैं खुद स्वाभिमान हमें भी सिखाते हैं। कठिनाई…

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10. योद्धा(कविता) ✍ नित्यानंद गायेन

मेरे दोस्त ने एक बार कहा था मुझसे ‘वीर रस’ पर कविता लिखो! मैंने उससे कहा था – देश के किसी गरीब की जीवनी पढ़ो…

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11. सपने(कविता) ✍ डॉ. रानी श्रीवास्तव

बाहर झमाझम बरसती हुई बारिश के बचने के लिए उस लड़की ने जब खूंटी पर से उतारी थी छतरी तो उतार लिये थे कुछ सपने…

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12. साथ(संस्मरण) ✍ बर्णाली देवी

मैंने चार दिन पहले अपनी मासी को खोया। वे छिहत्तर साल की थीं और वृद्धावस्था से सम्बंधित कुछेक बीमारियों से जूझ रही थीं। मासी बचपन…

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13. चलता-कुँवरी(अनूदित कहानी) ✍ मूल (असमीया): लक्ष्मीनाथ बेजबरुवा; अनुवाद: बिभावना डेका

एक राजा की दो रानियाँ थीं । वे दोनों गर्भवती हुईं । एक दिन दोनों रानियों की  संतानें हुईं । बड़ी रानी ने एक लड़के…

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14. डॉ. नारायण चंद्र तालुकदार का साक्षात्कार ✍ साक्षात्कार ग्रहण : डॉ. संजीव मण्डल

डॉ. नारायण चंद्र तालुकदार असम के विशिष्ट हिन्दी-सेवी हैं । वे कॉटन विश्वविद्यालय के विभागाध्यक्ष रहे हैं । यह साक्षात्कार डॉ. संजीव मण्डल द्वारा लिया…

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15. ড° মালিনীৰ উপন্যাস “ৰাজনন্দিনী উত্তৰা”: এক সমালোচনা(প্ৰবন্ধ) ✍ পৰীণিতা দেৱী

অসমীয়া উপন্যাস সাহিত্যৰ ইতিহাসলৈ লক্ষ্য কৰিলে দেখা যায় যে আধুনিক যুগত ৰামায়ণ, মহাভাৰতৰ কাহিনীকলৈ এক শ্ৰেণীৰ ৰসোত্তীৰ্ণ উপন্যাস ৰচিত হৈছে। ৰামায়ণ, মহাভাৰতৰ কাহিনী, চৰিত্ৰ অথবা…

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